*हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है।*
*रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है।*
*🌼 सुप्रभात 🌼*
*🙏🏻 सादर जय जिनेन्द्र 🙏🏻*
*हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है।*
*रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है।*
*🌼 सुप्रभात 🌼*
*🙏🏻 सादर जय जिनेन्द्र 🙏🏻*
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