*काजल लागे किरकरी*
*सुरमा सहा ना जाए*
*जिन नैनं में मित्र बसे*
*दूजा कौन समाये*
*प्रीत न कीजिये पंछी जैसी*
*जल सूखे उड़ जाऐ*
*प्रीत तो कीजिये मछली जैसी*
*जल सूखे मर जाए।*
💐*🙏सुप्रभात*🙏💐
Jai Jinendra Saa
*काजल लागे किरकरी*
*सुरमा सहा ना जाए*
*जिन नैनं में मित्र बसे*
*दूजा कौन समाये*
*प्रीत न कीजिये पंछी जैसी*
*जल सूखे उड़ जाऐ*
*प्रीत तो कीजिये मछली जैसी*
*जल सूखे मर जाए।*
💐*🙏सुप्रभात*🙏💐
Jai Jinendra Saa
Comments
Post a Comment