हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं. ??
लोगों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि......
हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं...!
लेकिन ऐसा है नहीं..... और, सच्चाई इसके बिलकुल
ही विपरीत है...!
दरअसल.... हमारे वेदों में उल्लेख है .... 33""कोटि"" देवी-
देवता..!
अब ""कोटि"" का अर्थ""प्रकार"" भी होता है..
और ............ ""करोड़"" भी...!
तो... मूर्खों ने उसे हिंदी में.... करोड़ पढना शुरू कर
दिया...... जबकि वेदों का तात्पर्य ..... 33 कोटि...
अर्थात ..... 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है...(उच्च कोटि..
निम्न कोटि..... इत्यादि शब्दतो आपने सुना ही होगा....
जिसका अर्थ भीकरोड़ ना होकर..प्रकार होता है)
ये एक ऐसी भूल है.... जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ
को ही परिवर्तित कर दिया....!
इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ
सकते हैं....!
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अगर कोई कहता है कि......बच्चों को""कमरे में बंद रखा""
गया है...!
और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले
कि...... बच्चों को कमरे में "" बंदर खा गया"" है.....!! (बंद
रखा= बंदर खा)
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कुछ ऐसी ही भूल ..... अनुवादकों से हुई ..... अथवा...
दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया.... ताकि, इसे
HIGHLIGHT किया जा सके..!
सिर्फ इतना ही नहीं....हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-
साफउल्लेख है कि....""निरंजनो
निराकारो..एको देवो महेश्वरः""..... ........ अर्थात.... इस
ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन...निराका र
महादेव हैं...!
साथ ही... यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है
कि..... हिन्दू सनातन धर्म..... मानव की उत्पत्तिके साथ
ही बना है..... और प्राकृतिक है...... इसीलिए ... हमारे
धर्ममें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर
जीना बताया गया है...... और, प्रकृति को भी भगवान
की उपाधि दी गयी है..... ताकि लोगप्रकृति के साथ
खिलवाड़ ना करें....!
जैसे कि....
@@ गंगा को देवी माना जाता है...... क्योंकि ... गंगाजल
में सैकड़ों प्रकार की हिमालय
की औषधियां घुली होती हैं..!
@@ गाय को माता कहा जाता है ... क्योंकि .... गाय
का दूध अमृततुल्य ... और, उनका गोबर... एवंगौ मूत्र में
विभिन्न प्रकार की... औषधीय गुण पाए जाते हैं...!
@@ तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है
कि.... तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय गुण
हैं...!
@@ इसी तरह ... वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण
ज्यादाऑक्सीजन देते हैं.... और छाया भी प्रदान करते हैं...!
यही कारण है कि.... हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में .....
प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है.....क्योंकि,
प्रकृति से ही मनुष्य जाति है.... ना कि मनुष्य जाति से
प्रकृति है..!
अतः.... प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और
उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है.... !
यही कारण है कि........ हमारे धर्म ग्रंथों में.... सूर्य,
चन्द्र...वरुण.... वायु.. अग्नि को भी देवता माना गया है....
और, इसी प्रकार..... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं...!
इसीलिए, आपलोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें......
क्योंकि... ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं...
जो निरंजन...निराका र महादेव हैं...! —
.अतः कुल 33 प्रकार के देवता हैं......
12 आदित्य है ----->धाता,मित्, अर्यमा,शक्र,वरुण,अंश,भग ,
विवस्वान,पूषा,सविता,त्वष्टा,एवं विष्णु..!
8 वसु हैं......धर,ध्रुव,सोम,अह,अनिल,अनल,प्रत्युष,एवं.,प्रभाष
11 रूद्र हैं...हर ,बहुरूप.त्र्यम्बक.अपराजिता.वृष
ाकपि .शम्भू.कपर्दी..रेवत ..म्रग्व्यध.शर्व..तथा.कपाली.
2 अश्विनी कुमार हैं.....
कुल................12 +8 +11 +2 =33
धन्यवाद !
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