भगवान् महावीर ने पावा में सर्वप्रथम गौतम इंद्रभूति आदि ग्यारह ब्राह्मणों को निर्ग्रन्थ-धर्म में दीक्षित किया जो उनके सर्वप्रथम अनुयायी थे। भगवान् महावीर ने अपने सारे अनुयायियों को ग्यारह गणों (समूहों) में विभक्त किया और प्रत्येक गण (समूह) का गणधर इन्हीं ग्यारह ब्राह्मणों को बनाया। इन गणधरों के नाम, गोत्र और निवासस्थान इस प्रकार हैं:- 1. इंद्रभुति गौतम (गोर्वरग्राम) 2. अग्निभूति गौतम (गोर्वरग्राम) 3. वायुभूति गौतम (गोर्वरग्राम) 4. व्यक्त भारद्वाज कोल्लक (सन्निवेश) 5. सुधर्म अग्निवेश्यायन कोल्लक (सन्निवेश) 6. मंडिकपुत्र वाशिष्ठ मौर्य (सन्निवेश) 7. भौमपुत्र कासव मौर्य (सन्निवेश) 8. अकंपित गौतम (मिथिला) 9. अचलभ्राता हरिभाण (कोसल) 10. मेतार्य कौंडिन्य तुंगिक (सन्निवेश) 11. प्रभास कौंडिन्य (राजगृह) गणों में से एक सुधर्मा भगवान् महावीर भगवान् के बाद जैनसंघ के प्रधान हुये। इंद्रभूति और सुधर्मा को छोड़कर शेष सभी का निर्वाण भगवान् महावीर के जीवन-काल में ही हो गया था। भगवान् महावीर ने संघ और निर्वाण का द्वार सभी वर्गों के लिए खोल दिया तथा स्त्रियों को भी पुरुषों के समान संघ में प...